एम्स में आर्टिफीसियल जबड़ा लगाने की तकनीक उपलब्ध, अब तक 60 मरीजों को लगा
सेहतराग टीम
एम्स में अब तक 60 मरीजों को आर्टिफिशल जबड़ा लगाया गया है। एम्स के ओरल एंड मैक्सिलोफेसियल सर्जरी के विभाग के एचओडी डॉ. अजय रॉय चौधरी ने कहा पहले आर्टिफिशल जबड़ा उपलब्ध नहीं होने की वजह से पारंपरिक तकनीक से सर्जरी करनी होती थी, जिससे मरीज के चेहरे की गड़बड़ी पूरी तरह ठीक नहीं होती थी। अब पिछले कुछ सालों से आर्टिफिशल जबड़ा आ गया है। एम्स में पिछले चार सालों में 60 मरीजों की आर्टिफिशल जबड़ा लगाया गया है और इसके लिए नई तकनीक का इस्तेमाल किया गया। डॉक्टर ने कहा कि इस तकनीक में पहले 3डी मॉडल तैयार कर सर्जरी की प्लानिंग की जाती है। इसके बाद खराब जबड़े को निकालकर आर्टिफिशल जबड़ा लगाया जाता है।
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डॉक्टर अजय रॉय ने कहा कि एम्स में जिन मरीजों की सर्जरी हुई है उनमें से ज्यादातर 18 से अधिक उम्र के लोग हैं। कुछ 15 से 18 साल के बीच के भी हैं। उन्होंने कहा कि अभी देश में स्वदेशी इंप्लांट उपलब्ध नहीं है और विदेशों में भी इसे बनाने वाली कंपनियां कम है। इसलिए यह महंगा है और इसकी कीमत डेढ़ लाख रुपये है। लेकिन अब राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना बड़ी मददगार साबित हो रही है। डॉक्टर का कहना है कि इलाज के लिए आए 90 पर्सेंट मरीजों का इलाज राष्ट्रीय आरोग्य निधि योजना से मिली मदद से संभव हो पाया है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की भी जबड़े की सर्जरी हो पा रही है।
डॉक्टर ने कहा कि बड़ी चिंता की बात यह है कि देश भर में ऐसी सर्जरी करने वाले डेंटल सर्जन कम हैं। उन्होंने कहा कि हमने दूसरे अस्पतालों के डॉक्टरों को ट्रेनिंग देना शुरू किया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने के लिए एम्स के डेंटल सेंटर ने सोमवार से तीन दिवसीय वर्कशॉप शुरू की है, जिसमें देश भर के 50 डेंटल सर्जन हिस्सा ले रहे हैं।
(साभार- नवभारत टाइम्स)
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